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छठ पूजा में तीसरे दिन को सबसे प्रमुख माना जाता है. इस मौके पर शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है और बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है.

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अब वाराणसी की ज़िला अदालत के फैसले के बाद वहां पर कोर्ट के नियुक्त किए गए रिसीवर (डीएम वाराणसी) ने पूजा, राग-भोग फिर से शुरू करवाया है.

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छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है. इस दिन भोग तैयार किया जाता है. शाम के समय मीठा भात या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है.

वाराणसी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, तहख़ाना खुलवा कर पूजा करवाने की अपनी चुनौतियां थीं.

प्रशासन को अपनी कार्रवाई करने के लिए पहले परिसर को खाली करवाना था और उस में भी कुछ समय लगा.

साथ ही इस दिन शिव जी की पूजा भी की जाती है. आइए जानते हैं इस साल किस तारीख को है नहाय खाय और खरना.

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हिन्दू पक्ष उसे अपनी याचिकाओं में व्यास जी का तहख़ाना भी कहता है.

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ज्ञानवापी: व्यास तहख़ाने में आठ मूर्तियों की पूजा कैसे शुरू हुई

वाराणसी के डीएम और पुलिस कमिश्नर ने काशी विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन से और पास के थाना चेतगंज के अधिकारियों से फीडबैक लेकर यह तय किया कि प्रशासन फेंस काटने की कार्रवाई और पूजा देर रात में करवाएगा.

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वाराणसी प्रशासन का कहना है कि जब तहख़ाने में प्रवेश किया गया और पूजा कराई गई तब वहां सोमनाथ व्यास के परिवार और इस मुकदमे का कोई भी याचिकाकर्ता मौजूद नहीं था.

प्रशासन के click here मुताबिक़ काशी मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश मिश्रा ने ही पूजा शुरू करवाई.

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